हमारे देश की सफलता बच्चों पर निर्भर

हमारे देश की सफलता बच्चों पर निर्भर

बच्चों के कल्याण के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू कितने प्रतिबद्ध थे, उसी का सम्मान करने के लिए दिन है बाल दिवस। इसी दिन पंडित नेहरू का जन्म हुआ था। यह दिन हमें बच्चों की बेहतरी की याद दिलाता है। यह बताता है कि उनको शिक्षा, पालन-पोषण और सुरक्षित वातावरण के लिए और क्या किया जाना चाहिए। बच्चे राष्ट्र की संपत्ति होते हैं और अपनी संपत्ति को हर कोई संभालकर रखना चाहता है। यहां तक कि उसे और समृद्ध बनाना चाहता है। हम भी आजाद नागरिक के तौर पर अपने भविष्य को, यानी बच्चों को समृद्ध बनाना चाहते हैं। जाहिर है, यह समृद्धि उसे ज्ञान से, पोषण से और सुरक्षित वातावरण से मिल सकती है। यही कारण है कि यह दिन कमियां गिनाने का नहीं, बल्कि समाज को बेहतर बनाने के संकल्प का होना चाहिए। वास्तव में, भारत में बच्चों की बेहतरी के लिए कई काम हुए हैं। उनके लिए शिक्षा की अच्छी व्यवस्था की गई है, जिस कारण स्कूल छोड़ने की दर कम हुई है। विशेष तौर पर माध्यमिक स्तर तक शत-प्रतिशत नामांकन की ओर हम बढ़ चुके हैं और यहां से स्कूल छोड़ने की दरें भी काफी कम हो गई हैं। लड़कियों के लिए लैंगिक समानता में स्थिति अच्छी हुई है और लड़‌कियों के नामांकन व भागीदारी में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, टीकाकरण की दिशा में भी देश ने अच्छा काम किया है। टीकाकरण कवरेज में सुधार हुआ है, हालांकि इसमें अब भी काम करने की जरूरत है, जिस पर हमें ध्यान देना होगा। देश की आर्थिक तरक्की से भी बच्चों का जीवन सुधरा है। देखा जाए, तो आर्थिक विकास ने बच्चों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण आदि की सुविधा उपलब्ध कराई है। इसी का परिणाम है कि बाल श्रम अब काफी कम हो चुका है और हिंसा जैसी समस्याओं से निपटने के लिए कई प्रभावशाली प्रयास किए गए हैं।

पंडित नेहरू का मानना था कि देश की सफलता और समृद्धि बच्चों पर निर्भर है, जो आज भी प्रासंगिक है। बच्चों के विकास के बिना राष्ट्र का विकास नहीं हो सकता। अच्छी बात है कि तमाम सरकारें इस बात से सहमत हैं और बच्चों की बेहतरी के लिए अनवरत काम कर रही हैं। यह प्रवृत्ति आगे भी बनी रहेगी, और ऐसा तभी होगा, जब हम सरकारों के साथ मिलकर काम करेंगे, न कि उनकी आलोचना में रम जाएंगे। अगर हम चाहते हैं कि यह देश बच्चों के लिए और बेहतर वने, तो हमें सभी तबकों के बच्चों को समान रूप से आगे बढ़ाना होगा, खासतौर से वंचित और कमजोर तबके के बच्चों पर ध्यान देना होगा ।
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शोभित कुमार, टिप्पणीकार