कर्फ़्यू और धारा 144 में क्या अंतर हैं?

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धारा 144:

कानूनी तरिके से इकट्ठा होने से रोकना।

हरियाणा सरकार ने गुरमीत राम रहीम से जुड़े साध्वी के रेप के मामले में दो दिन बाद आने वाले फैसलें पर धारा 144 लगा दी थी।

Article 19 हमें अभिव्यक्ति की आजादी देता हैं,जहाँ कोई भी व्यक्ति या समूह धरना, जूलूस इत्यादि कर सकता हैं।पर इस अभिव्यक्ति को एक सीमा में रखते हुए Clause 2 under Article 19 यह भी बतलाता हैं कि अगर आपकी यह अभिव्यक्ति किसी राज्य की सुरक्षा,राज्यों से दोस्ताना व्यवहार,सार्वजनिक व्यवस्था,शालीनता और नैतिकता,अदालत की अवमानना,मानहानि,किसी घटना को शह देते तथा संप्रभुता और अखंडता की अवमानना करते हुए पाएं जाते हैं तो बनाए गए कानून के अंतर्गत एक वैध कारण के साथ आपको बंधन में रखा जाएगा परंतु कार्य से आप आज़ाद रहेंगे।

Criminal Procedure Code के अंतर्गत 144 किसी भी स्थान विशेष पर अगर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अथवा सब-डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ऐसा लगता हैं कि जनसामान्य को खतरा अथवा शांति व्यवस्था का बिगड़ सकती हैं,तब इस हालात में धारा 144लग सकती हैं।इस धारा के लगते ही 5 लोगों से ज्यादा एकत्रित होने,सभा करने,अस्त्र अथवा शस्त्र ले जाने पर पाबंदी होती हैं। यह पाबंदी उन्हीं लोगों पर होती हैं जो असंवैधानिक रूप से वहाँ एकत्रित हुए हैं।अपवाद के रूप में;बारात,शव-यात्रा अथवा विवाह समेलन हेती इकट्ठा लोगों पर यह धारा लागू नहीं होती।

यदि कोई व्यक्ति धारा 144 का उल्लंघन करता पाया गया हैं तो Section 188 IPC के खिलाफ कार्रवाई होती हैं।उन व्यक्तियों को धारा 107 तथा 166 CrPC(Criminal Procedure Code) पाबन एवं Section 150 के अंतर्गत गिरफ्तार भी किया जा सकता हैं।सज़ा के तौर पर 1साल की सज़ा तथा जुर्माना भी देय होता हैं।हालांकि यह अपराध एक जमानती अपराध हैं।

Section 144

कर्फ्यू:

समय विशेष के बाद घर से बाहर निकलने पर मनाही कर्फ्यू लगना बतलाता हैं।

दंगा भड़क जाने पर,हिंसा हो जाने पर,लूट,आगजनी एवं विध्वंसक कार्य रोकने तथा पुनः शांतिपूर्ण माहौल बनाने के लिए तथा नागरिकों को ध्यान में रखते हुए,डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट उपयुक्त परिस्थितियों कर्फ्यू लगा सकता है। कर्फ्यूग्रस्त एरिया में सब एकत्रण समझाते हैं। इस कारण इकट्ठा होकर बिल्कुल मना हैं।

कर्फ्यू के दौरान गोली चलाने का अधिकार, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट,सब-इंस्पेक्टर के रैंक के ऊपर पुलिस कर्मी को ही होता हैं।परंतु पुलिसकर्मियों पर केस तभी हो सकता हैं जब तक राज्य सरकारी की अनुमति हों।

कश्मीर में एक आर्मी मैन द्वारा तीन लोगों को गोली मारने के अपराध में,कर्फ्यू के दौरान, केस बना था।

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