वारंट कितने प्रकार के होते है?
अरेस्ट वारंट दो प्रकार के होते है जमानतीय वारंट और गैर जमानतीय वारंट. जमानतीय वारंट से डरने की कोई जरूरत नही होती है. इसमें आपको कोई अरेस्ट नही करता है. जबकि गैर जमानतीय वारंट में आपको अरेस्ट किया जा सकता है.
अरेस्ट वारंट दो प्रकार के होते है जमानतीय वारंट और गैर जमानतीय वारंट. जमानतीय वारंट से डरने की कोई जरूरत नही होती है. इसमें आपको कोई अरेस्ट नही करता है. जबकि गैर जमानतीय वारंट में आपको अरेस्ट किया जा सकता है.
किसी भी आरोपी को मारने का पुलिस के पास अधिकार नहीं है। कानून ने उन्हें जो अधिकार दिए हैं, वह कानून की सुरक्षा के लिए दिए हैं। इस अधिकार का सही इस्तेमाल करके पुलिस नागरिकों के अधिकार को संरक्षण देती है। कानून किसी को भी मारपीट का अधिकार नहीं देता है।
यदि पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो यह न सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता मतलब सीआरपीसी का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20, 21 और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी विरूद्ध है।
अगर पुलिस आपकी शिकायत को दर्ज करने से इनकार कर देती है तो आपके पास अधिकार है कि आप किसी सीनियर ऑफिसर के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. अगर इसके बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं होती है तो आप CrPC के सेक्शन 156 (3) के तहत मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट के पास इसकी शिकायत करने के अधिकारी हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि किसी भी जनसंख्या में बच्चों की संख्या अतिसंवेदनशील वर्ग है जिन्हें विशेष देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है भारत का संविधान राज्य पर यह सुनिशिचत करने का दायित्व दिया है कि बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है और उनकी बुनियादी मानवीय अधिकारों को सुरक्षा प्रदान किया जा रहा है ।
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डी.के. बासू बनाम स्टेट आॅफ वेस्ट बंगाल के मामले में माननीय, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी भी गिरफ्तारी के मामले में निम्नलिखित दिशा निर्देश का पालन करना अपेक्षित है ।
किसी की जमानत देने से पहले जान ले ये बातें । Law Regarding Bail Bond & Surety
A consumer is one that buys goods for consumption and not for resale or commercial purpose. The consumer is an individual who pay some amount of money for the things required to consume goods and services.
Meaning of consumer protection
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