अवसाद युवाओं में हृदय रोग का कारण

आमतौर पर 50 से 55 साल की उम्र के बाद ही लोगों को दिल की बीमारी होती थी और पहले युवाओं में ऐसा कम देखने को मिलता था। लेकिन पिछले कुछ सालों में युवाओं में दिल की बीमारी और हृदयाघात का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में किए नए अध्ययन में दावा किया गया है कि युवाओं में हृदयाघात का एक बड़ा कारण अवसाद यानी डिप्रेशन है।

शोध में बताया गया है कि दिल की बीमारियों का जोखिम युवाओं और वृद्धों में अवसाद के बढ़ते मामले से जुड़ा होता है। अध्ययन का नेतृत्व स्पेन के ग्रेनाडा विश्वविद्यालय की Sandra मार्टिन पेलेज और उनकी सहयोगियों ने किया। शोध के निष्कर्ष ओपन एक्सेस जनरल प्लोस वन में प्रकाशित किए गए।

नया शोध युवाओं में हृदयाघात के लिए अवसाद की ओर इशारा करता है।

अनियमित जीवनशैली भी बड़ा कारण है| शोधकर्ता Sandra मार्टिन ने बताया कि कम उम्र में संवारने का दबाव युवाओं के दिल को अत्याधिक बीमार बना रहा है|

इससे वह तनाव, अवसाद और हाइपरटेंशन की गिरफ्त में आकर दिल के साथ दगा कर रहे हैं।

अनियमित जीवन शैली के कारण ज़ी युवा दिल की विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। 7 वर्षों में युवाओं में दिल की बीमारी तेजी से बढ़ी|

दुनिया भर में दिल के मरीजों में 20 से 30% युवा हैं जिनकी उम्र 30 से 40 वर्ष तक है।

पिछले 7 से 8 वर्षों में दिल की बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टरों के पास आने वालों में युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। 10 साल पहले हृदय रोग के कुल मरीजों में 5 फ़ीसदी युवाओं की संख्या होती थी।

दिल की बीमारी के अन्य कारण भी सामने आए| शोधकर्ताओं ने बताया कि जो लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं जब उन पर कई वर्षों तक नजर रखी गई तो पाया गया कि अवसाद के उच्च लक्षणों वाले लोगों में हृदय रोग विकसित होने की संभावना अधिक थी हालांकि अध्ययन के दौरान हृदय रोग के कारणों की कई अन्य वजह भी सामने आई है।