विश्व साहित्यकार का निधन

विश्व साहित्यकार का निधन साहित्य जगत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने साहित्य-सम्राट जार्ज बर्नार्ड शा का नाम न सुना हो, अथवा उनकी रचनाओं का आस्वादन न किया हो। अतः यह समाचार विश्व के सभी देशों में अत्यन्त शोकपूर्वक सुना जायेगा कि पैनी कलम का धनी, एक महान साहित्यकार उनके बीच से उठ गया। 26 जुलाई को उन्होंने अपनी 94वीं वर्षगांठ मनाई थी। उनका आहार-विहार बहुत नियमित था और वही उनकी दीर्घायु का सबसे बड़ा रहस्य था। स्वास्थ्य के नियमों के संबंध में वह डाक्टरों तक को सलाह दे सकते थे। कुछ सप्ताह पूर्व वह घूमते हुए फिसल पड़े थे, जिससे उनकी जांघ की हड्डी टूट गई थी। यदि यह दुर्घटना न हुई होती, तो संभव था कि वह कुछ समय और जीवित रह जाते। वैसे वृद्धावस्था ने उन्हें पहले ही सावधान कर दिया था। अपनी, 93वीं वर्षगांठ के बाद उन्होंने एक पत्र-प्रतिनिधि से कहा था-'मौत मेरा दर्वाजा खटखटा रही है, किन्तु वह मेरे लिए अप्रिय अतिथि न होगी। इसी मंगलवार को, जब उनकी अवस्था चिन्ताजनक हो गई थी, उन्होंने अपनी एक महिला मित्र के सम्मुख यह उत्कट कामना प्रकट की थी कि उन्हें निद्रा की आवश्यकता है। उनकी यह कामना भगवान ने पूरी कर दी और वह महानिद्रा में सो गये हैं। जांघ की हड्डी टूट जाने के कारण शा को जो धक्का लगा, उसके बाद उन्होंने कहा था कि यदि मैं इस धक्के से बच गया, तो अमर हो जाऊंगा। किन्तु प्रकृति के नियम अटल हैं और पंच तत्वों से निर्मित इस शरीर का अन्त अनिवार्य था। क्या हुआ यदि शा का शरीर नहीं रहा, किन्तु शा अपनी अनमोल रचनाओं के द्वारा अमर हो गये हैं। जार्ज बर्नार्ड शा को जन्म देने का सौभाग्य आयलैण्ड को प्राप्त हुआ था, किन्तु उन्होंने इंग्लैण्ड को अपना निवास-स्थान बना लिया था। इंग्लैण्ड इस बात पर गर्व कर सकता है कि शेक्सपियर के बाद उसने विश्व को सबसे बड़ा नाटककार दिया है। उन्होंने पचास नाटक लिखे हैं, और उनका संसार की प्रायः हर भाषा में अनुवाद हुआ है। उनके नाटकों पर से फिल्में तैयार हुई हैं और वे रंगमंच पर खेले भी गये हैं। शा की लिखने की अपनी अनोखी शैली थी। गम्भीर-से-गम्भीर तथ्यों को उन्होंने हल्के-फुल्के रूप में प्रस्तुत किया। उनकी भाषा में व्यंग्य की गहरी पुट रहती थी। https://whatsapp.com/channel/0029Va5O1JeJUM2iAh0Umr0k